वारासिवनी।

उच्च न्यायालय द्वारा समय सीमा में प्रकरणों के निराकरण की बाध्यता के एक आदेश को लेकर वारासिवनी अधिवक्ता संघ ने 5 दिवस तक न्यायालयीन कार्य से विरत रहने का निर्णय लिया है। अधिवक्ता संघ का कहना हैं कि स्पीडी ट्रायल से निराकरण हो सकता हैं, न्याय नहीं और उन्हें न्याय की दरकार न्यायालयों से हैं। उच्च न्यायालय अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार कर अधिवक्ताओं की मांग को पूरा करे।
        5 दिवसीय इस विरोध प्रदर्शन को लेकर सोमवार को अधिवक्ताओं ने
न्यायालयीन परिसर में मार्च किया और जमकर नारेबाजी की। अधिवक्ता संघ अध्यक्ष शाहिद मियां खान ने बताया कि स्थानीय जिले सहित आसपास के जिलों में लगातार समय सीमा में प्रकरणों के निराकरण की बाध्यता को लेकर अधिवक्ताओं में आक्रोश व्याप्त हैं। जिसके चलते अलग-अलग जिलों के बार एसोसिएशन ने अपने अपने स्तर पर कार्य से विरत रहकर विरोध दर्ज कराते हुए अपना संदेश दिया हैं। वर्तमान में यह विरोध प्रदर्शन 5 दिन के लिए नियत हैं। इन पांच दिनों में कुछ नहीं होता हैं, तो प्रदेश स्तर पर एक साथ विरोध प्रदर्शन की चर्चा शुरू हैं। एक या दो दिन में मध्यप्रदेश स्टेट बार कौंसिल भी इसमें शामिल हो सकता है।
    इस संबंध में अधिवक्ता संघ वारासिवनी द्वारा एक ज्ञापन उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधिपति को भेजते हुए सूचीबद्ध 25 प्रकरणों के शीघ्र निराकरण हेतु प्रशासनिक आदेश जारी किया गया हैं, उसका विरोध करते हैं और वारासिवनी व्यवहार न्यायालय में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 1 की नियुक्ति शीघ्र करने की मॉग करते हैं।
     ज्ञापन के अनुसार 25 प्रकरणों के शीघ्र निपटारे के आदेश से
अधिवक्ताओं व पक्षकारों का अहितहो रहा हैं और पक्षकारों को पर्याप्त
न्याय नहीं मिल पा रहा हैं। इसके पूर्व 7 फरवरी 23 को मुख्य न्यायाधिपति उच्च न्यायालय जबलपुर को ज्ञापन दिया गया था, लेकिन आज तक उनकी मॉग पूरी नहीं की गई हैं। इसीलिए अब समस्त अधिवक्तागण 20 मार्च से लेकर 25 मार्च तक न्यायालयीन कार्य से विरत रहेगे।
  ज्ञापन अनुसार अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा इन सूचीबद्ध 25 प्रकरणों में
दिन प्रतिदिन की पेशियॉ दी जा रही हैं, जिससे पक्षकार के साथ-साथ
अधिवक्तागणों को भी अत्यधिक परेशानी उठानी पड़ रही हैं। वहीं व्यवहार
न्यायालय वारासिवनी में व्यवहार न्यायाधीश वर्ग 1 का पद लगभग डेढ़ वर्षो से रिक्त हैं। जिसके कारण वर्ग 1 के अधिकार से संबंधित न्यायालय में
प्रकरणों के लिए अन्य स्थान पर जाकर प्रकरणों को पेश करना पड़ रहा हैं।
जिसके कारण अधिवक्ता एवं पक्षकारों को समय एवं आर्थिक नुकसान हो रहा हैं। इस संबंध में पूर्व में प्रधान न्यायाधीश बालाघाट को भी ज्ञापन दिया गया था, परंतु आज तक समस्या का निराकरण नहीं हुआ हैं।
      ज्ञापन के अनुसार व्यवहार न्यायालय वारासिवनी में व्यवहार न्यायाधीश के 4 पद हैं,  ऐसी स्थिति में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी का पद आवश्यक हैं, जिससे आबकारी एवं अन्य वारासिवनी में सुने जाने के लिए व्यवस्था कराने की कृपा करे।
  इस ज्ञापन की प्रतिलिपि अध्यक्ष मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद
जबलपुर व प्रधान न्यायाधीश बालाघाट को भी भेजी गई हैं।
       अधिवक्ता संघ अध्यक्ष श्री खान ने समस्त अधिवक्ताओं से अपील की
हैं कि वह इस विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर आन्दोलन को सफल बनायें।
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