टीकमगढ़ रुद्रांश दर्पण:

बुंदेलखंड के प्रसिद्ध शिवधाम कुंडेश्वर में श्रावण के दूसरे सोमवार और सोमवती अमावस्या पर्व के चलते सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पैदल चलकर मंदिर पहुंच रहे हैं।आज सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में सबसे पहले मंदिर के पुजारियों ने भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया। सुबह 5 बजे मंदिर का गर्भ गृह आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने मंदिर परिसर में सुबह से ही महिला और पुरुष श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। अलग-अलग लाइन लगाई

मंदिर प्रबंधन की ओर से महिला और पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग लाइन की व्यवस्था की गई है। मंदिर परिसर में ट्रस्ट के सुरक्षा जवानों के अलावा बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे से हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। श्रावण मास शुरू होते ही मंदिर परिसर में मेला लग गया है। इस बार अधिक मास के चलते सावन के 2 महीने होंगे। 15 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचेंगे

आज सावन के दूसरा सोमवार और सोमवती अमावस्या पर्व के चलते कुंडेश्वर में करीब 15 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचेंगे। दोपहर 12 बजे के बाद मंदिर परिसर में बनी रसोई में प्रसाद वितरण शुरू हो जाएगा। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नंदकिशोर दीक्षित ने बताया कि भक्तों की भीड़ को देखते हुए मंदिर परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। शाम को होगा विशेष आकर्षक श्रंगार

श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को भगवान भोलेनाथ का विशेष आकर्षक श्रंगार किया जाता है। मंदिर के प्रधान पुजारी जमुना तिवारी महाराज ने बताया कि शाम 5 बजे के बाद गर्भ ग्रह श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद भगवान भोलेनाथ का श्रंगार होगा और शाम 7 बजे महाआरती उतारी जाएगी।

कुंड से हुई थी शिवलिंग की उत्पत्ति

कुंडेश्वर में विराजे भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्वयंभू है। मंदिर करीब 2000 साल से भी ज्यादा पुराना है। इतिहासकार हरिविष्णु अवस्थी ने बताया कि राजशाही दौर में शिवलिंग की खुदाई कराई गई थी, लेकिन उसका अंत नहीं मिला था। ऐसा माना जाता है कि स्वयंभू शिवलिंग मंदिर के नीचे बने कुंड से निकला है।