बड़वानी 28 फरवरी 2023/ आदिवासी बाहुल्य क्षैत्र बड़वानी में स्थित शासकीय कन्या महाविद्यालय बड़वानी की विज्ञान संकाय की छात्राएॅ, पहली बार, राजा रमन्ना प्रौद्योगिकी केन्द्र इन्दौर का भ्रमण कर विज्ञान और तकनिकी के क्षैत्रों में नई-नई तकनीकों को देखने, समझने, जानने और ज्ञानवर्धन के लिए यह विजिट सफल रही। विष्व बैंक परियोजना के अंतर्गत शैक्षणिक सत्र 2022-23 में अकादमिक गुणवत्ता एवं शैक्षणिक उन्नयन हेतु महाविद्यालय के आईक्यूएसी कोआॅर्डीनेटर डाॅ.जगदीष मुजाल्दे एवं प्राचार्य डाॅ.स्नेहलता मुजाल्दा के निर्देषानुसार विज्ञान संकाय की लगभग 100 छात्राएॅ और स्टाॅफ सहित राजा रमन्ना प्रौद्योगिकी केन्द्र इन्दौर द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित नेषनल साइंस डे 2023 में सहभागिता कर निम्नलिखित प्रदर्षनी को देखा।  अनुसंधान के रहस्य को जाने और विज्ञान एवं तकनीकि के नये आयामों से परिचित हुये। 
 कहा जाता है कि समाज व देष का भविष्य विद्यार्थी ही होते है जो हम बोयेगे, वही पायेंगे ।  हमें हमारा आने वाला कल और भविष्य सुरक्षित रखना है तो षिक्षक एवं विद्यार्थियों के बीच आपसी समन्वय और तालमेल को बढ़ावा देना ही होगा तभी आने वाला कल सुनहरा देख पायेगें। एक कदम विज्ञान की ओर प्रत्येक वर्ष देष के अग्रणी अनुसंधान केन्द्र द्वारा फरवरी के अंतिम सप्ताह में विज्ञान प्रदर्षिनी के माध्यम से साइंस डे सेलिबे्रट करता है । इस दो दिवसीय विज्ञान प्रदर्षनी में हजारों की संख्या में स्कूलों एवं कालेजों के विद्यार्थियों, इम्पलोई एवं रिसर्चर पूर्व अनुमति लेकर इस संस्थान का विजिट करते है। इससे छात्राओं में विज्ञान और तकनिकी के क्षैत्रों में जागरूकता बढ़ेंगी और साथ ही छात्राएंे रिसर्च के क्षैत्र के लिए प्रेरित होगी।
बड़वानी जिले के सुदूर ग्रामीण अंचल से गाॅव पोखल्याखेड़ी से इसी संस्थान में सीनियर साईंटिस्ट के रूप में अपनी सेवाये दे रहे श्री माॅगीलाल इकवाले को भारत सरकार द्वारा दो बार बेस्ट साईंटिस्ट का अवार्ड प्राप्त हो चूके है। श्री इकवाले के पहल पर ही शासकीय कन्या महाविद्यालय बड़वानी की लगभग 100 छात्राओं को देष के अग्रणी रिसर्च इन्स्टीट्यूट का भ्रमण करने का अवसर प्राप्त हुआ।
  महाविद्यालय की विज्ञान संकाय की छात्राएॅ 26 फरवरी को देष की इस अग्रणी केन्द्र में प्रातः 10ः30 बजे पहुॅचकर सीनियर र्साइंटिस्ट श्री एमएल इकवाले के मार्गदर्षन में आवष्यक निर्देषों का पालन करते हुये उनके रूपरेखा के अनुसार अलग-अलग विभागों में प्रदर्षित प्रदर्षनी को छात्राओं और स्टाॅफ ने देखी। विद्यार्थियों ने प्रदर्षनी को देखकर कहा कि अपनी आॅखों से देखकर आष्चर्य व्यक्त करते हुवे कहा कि अभी तक हम केवल किताबों में ही समझते थे, लेकिन जब प्रेक्टिकली देखा तो हमेें साइंस के नये-नये आयामों को समझने, देखने और इसके महत्व को जानने का अवसर प्राप्त हुआ। साथ ही विद्यार्थियों ने एनडीयाग पल्स लेसर से स्टील कटिंग को देखा और लिक्विड नाइट्रोजन गैस से बादल को बनते हुवे देखा और -196 0ब् तक अलग-अलग वस्तुाओं के पिघलने व ठोस होते हुवे देखा। ग्लास को बहुत अधिक तापमान पर गरम करके अपनी इन्छानुसार कई प्रकार के आकार एवं आकृतियों के परखनली, काॅनिकल फ्लाक्स, राउण्ड बाॅटम फ्लाक्स, पीपेट, ब्यूरेट, काॅच के ग्लास एवं कई प्रकार के ग्लासवेयर बनाये जाते है। 
लेजर प्रकाष द्वारा राॅ-पावडर की सहायता से मेटल को अलग-अलग डिजाइन में बनाने की विधियों को देखा, लिक्विड कार्बनडाईक्साईड का उपयोग करके किसी भी प्रकार फाइबर को आसानी से उसका आकार एवं आकृति में डिजाइन किया जा सकता है। कम्पन्न उर्जा से विद्युत उर्जा में बदलने की प्रक्रिया को समझे, उर्जा को हवा के माध्यम से देखा, लेकिन वहाॅ पर वैज्ञानिकों ने हमें विषेष यंत्र के माध्यम से दिखाया गया । 
हाईडोजन एवं आक्सीजन से जल को कैसे बनाया जाता है, इसको भी समझा । साथ ही देष के सबसे बड़े इंडस-1 और इंडस-2 से इलैक्ट्रान की तीव्रता से परिचित कराया और इस सिन्क्रोट्रौन रेडिऐसन के अनुप्रयोग भी देखें जैसे गंभीर बीमारियों कैंसर डिटेक्टर यंत्र और टी.बी. स्केन यंत्र, सोनोग्राफी, एक्स-रे, स्पेक्टोस्कोपी आदि।
 श्री एमएल इकवाले, श्री विजय भावसार और वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री राजेष आर्य और उनके मेंनेजमेंट टीम को महाविद्यालय परिवार की ओर से आभार एवं धन्यवाद प्रेषित करता है। इस अवसर पर विज्ञान संकाय के सहायक प्राध्यापक, डाॅ. रविन्द्र बरडे, डाॅ. दिनेष सोलंकी, डाॅ. महेष निंगवाल, प्रो. शोभाराम वास्केल, प्रो. सीमा भाटीया, प्रो. राहुल तोरनिया, प्रो. अमृता यादव कु. भारती सोलंकी, कु. स्वाती यादव एवं छात्राएॅ उपस्थित थेेे।