बड़वानी 27 फरवरी 2023/ शासकीय कन्या महाविद्यालय बड़वानी में 27 फरवरी को प्राचार्य डाॅ. वंदना भारती एवं आईक्यूएसी काओर्डिनेटर डाॅ. जगदीश मुझाल्दे के मार्गदर्शन में गृह विज्ञान विभाग द्वारा महाविद्यालय में व्यंजन की मेगा फुड इवेंट ( मिलेट्स रेसिपीज ) पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें व्यंजन विशेषज्ञ के रूप में श्रीमति विनिता जैन, व्यंजन विशेषज्ञ को बुलाया गया जिनके द्वारा छात्राओं को मिलेट से बनने वाले विभिन्न व्यंजन जैसे थेपला, रागी डोसा, रागी केक, ज्वार नमक पारे, ज्वार केसरी, बाजरा चिला, बाजरा थालीपीठ, रागी उपमा पकोड़ी आदि व्यंजन बताये गये छात्राओं ने नये-नये व्यंजन बनाना सीखा। 
 प्रभारी प्राचार्य डाॅ. स्नेहलता मुझाल्दा द्वारा बताया कि आज पूरी दुनिया कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से लड़ रही है लोगो की जीवन शैली बदल गई है। आज प्रत्येक व्यक्ति को अपने प्रतिदिन के आहार में ज्वार, बाजरा, रागी को शामिल करना चाहिए। डाॅ. कविता भदौरिया वरिष्ठ प्राध्यापक द्वारा छात्राओं को मिलेटस की जानकारी देते हुए बताया कि मोटे अनाजों के उत्पादन से भूमि की उर्वरा शक्ति को हृास होने से बचाया जा सकता है ज्वार, बाजरा, कुटकी, कोदो का उपयोग भारत में वर्षो से हो रहा है ग्रामीण जनता इनका उपयोग परम्परागत रूप से करती आ रही हैै। किंतु बीच के कुछ वर्षो में इनका उत्पादन  कम हुआ। जनसंख्या की जीवन शैली में परिवर्तन आने पर गेंहू का उपयोग बढ़ा। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन ने पुनः मोटे अनाजों की उपयोगिता को बताया। इनके उत्पादन को बढाकर प्रसंस्करण उद्योग को बढाने की अपार संभावनायें मौजूद है जो रोजगार बढ़ाने में भी सहायक होगी।
  कार्यशाला प्रभारी डाॅ. प्रियंका देवड़ा द्वारा इन व्यंजनों में उपस्थित पोषक तत्वों की जानकारी दी साथ ही बताया की मिलेट्स से बने व्यंजन खाने से वजन कम होता है। यदि हम प्रतिदिन हमारे भोजन में मिलेट्स का उपयोग करते है। तो मोटे लोग अपने बीएमआई को कम कर सकते है। मिलेट्स एंटीआॅक्सिडेंटस के अच्छे स्त्रोत होते है। इनमें फ्लेवोनोइड्स, एंथ्रोसायमिडिन, लिगनस, आदि होते है। मिलेट्स, हद्य रोग, डायबिटिज, अस्थमा, केंसर जैसे रोगों को रोकने की क्षमता रखते है।
 ये ऐसे पदार्थ है जो शरीर से विषैले पदार्थो को दूर करने में सहायक होते है। पाचन तंत्र, त्वचा को स्वस्थ रखने में भी मिलेट्स सहायक है। 100 ग्राम रागी  में लगभग 344 मि.ग्रा, कैलिशयम होता है। यदि हम प्रतिदिन रागी का उपयोग हमारे भोजन में करते है तो शरीर में होने वाली कैल्शियम की कमी को दूर किया जा सकता है। इस कार्यशाला में सहा प्राध्यापक डाॅ. सुनिता भायल, प्रो सीमा नाईक, प्रो दीपाली पाटीदार, प्रो. दीपाली निगम प्रो. अलका तोमर, प्रो.सोनाली जोशी, श्रीमजी किरण बडौले उपस्थित थे।