झाबुआ - एक जिला एक उत्पाद में कड़कनाथ से सफलता प्राप्त कर रहा है झाबुआ. ----------
झाबुआ मध्यप्रदेश का आदिवासी बाहुल्य जिला है। इस जिले की पहचान यहां पर पाई जाने वाली मुर्गी की प्रजाति कड़कनाथ के कारण पूरे देश में है। कड़कनाथ कुक्कुट आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिला ही नहीं अपितु मध्यप्रदेश राज्य का गौरव है तथा वर्तमान में कड़कनाथ झाबुआ जिले की पहचान बना हुआ है। कड़कनाथ की उत्पति कठ्ठिवाड़ा, आलीराजपुर के जंगलों में हुई है। क्षेत्रीय भाषा में कड़कनाथ को कालामासी भी कहा जाता है क्योंकि इसका मॉस, चोंच, कलंगी, जुबान, टांगे, नाखून, चमड़ी इत्यादि काली होती है। जो कि मिलेनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है। जिससे हृदय व डायवटीज रोगियों के लिए उत्तम आहार है। इसका मॉस स्वादिष्ट व आसानी से पचने वाला होता है। इसकी इसी विशेषता के कारण बाजार में इसकी मांग काफी होती है एवं काफी ऊंची दरों पर विक्रय किया जाता है। कड़कनाथ की तीन प्रजातियाँ (जेट ब्लैक, पैन्सिल्ड, गोल्डन) पाई जाती है। जिसमें से जेट ब्लैक प्रजाति सबसे अधिक मात्रा में एवं गोल्डन प्रजाति सबसे कम मात्रा में पाई जाती है, नर कड़कनाथ का औसतन वजन 1.80 से 2.00 किलोग्राम तक होता है, मादा कड़कनाथ का औसतन वजन 1.25 से 1.50 किलोग्राम तक होता है, कड़कनाथ मादा प्रतिवर्ष 60 से 80 अण्डे देती है, इनके अण्डे मध्यम प्रकार के हल्के भूरे गुलाबी रंग के व वजन में 30 से 35 ग्राम के होते है।
यह प्रजाति अपने काले मांस जो उच्च गुणवत्ता, स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणवाला होने के कारण जानी जाती है। लेकिन धीरे धीरे इसकी संख्या में कमी एवं अनुवांशिक विकृति के कारण इसका अस्तित्व खतरे में है। कृषि विज्ञान केन्द्र, झाबुआ द्वारा इसके महत्व एवं विलुप्पता को देखते हुए राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेशी परियोजना अन्तर्गत कड़कनाथ पालन को कृषकों के कृषि के साथ जीवन यापन का आधार बनाने हेतु कार्य योजना को मुर्तरूप दिया।
शासकीय कड़कनाथ कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र झाबुआ में चार माह में कुल 60,000 चूजा उत्पादन हुआ। चूजों का वितरण केन्द्रीय क्षेत्रीय वन बंधू कल्याण योजना अंतर्गत बडवानी जिले के 1457 हितग्राहियों को 17,494 कड़कनाथ चूजे वितरित किए। जिला आलीराजपुर, बडवानी तथा झाबुआ में मध्यप्रदेश कुक्कुट विकास निगम द्वारा संचालित सहकारी समिति के हितग्राहियों को कुल 9700 चूजे वितरित किये गये। विभागीय अनुदान पर कड़कनाथ चूजा प्रदाय योजना अंतर्गत कुल 147 हितग्राहियों को 5880 चूजा प्रदाय किया गया। हरियाणा राज्य के निजी कडकनाथ पालक को 5500 अंडे विक्रय किये गए। जिसकी राशि रुपये 1,10,000/- शासकीय पी. डी. खाते में जमा की गई। बायफ संस्था द्वारा किये गए कार्य- अक्टूबर 2022 में ग्राम माछलिया विकास खंड रामा जिला झाबुआ में 600 अण्डों की क्षमता की हेचरी इकाई की स्थापना की गई, जिसे श्री गणेश स्वयं सहायता समूह की 10 महिला सदस्यों द्वारा संचालित किया जा रहा हैं। अभी तक कुल 800 चूजों का उत्पादन कर विक्रय किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र, झाबुआ कृषि विज्ञान केन्द्र झाबुआ द्वारा 6550 कड़कनाथ चूजे देश के विभिन्न राज्यों में विक्रय किये गये।
इंदौर-अहमदाबाद हाइवे में खोला कड़कनाथ पार्लर
मध्यप्रदेश जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रायोजित कड़कनाथ संरक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम के तहत 01 फरवरी 2023 को कडकनाथ प्रदर्शनी एवं प्रतियोगिता डॉ. ए.के. शुक्ला कुलपति राजमाता विजयराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर की उपस्थिति में आयोजित की गई। जिसमें 500 किसानों ने भाग लिया, प्रतियोगिता में 10 कड़कनाथ पालकों ने हिस्सा लिया। निजी कड़कनाथ पार्लर श्री अरुण मकवाना ग्राम डूंगराधन्ना जिला झाबुआ द्वारा इंदौर अहमदाबाद हाइवे पर जनवरी माह में निजी कड़कनाथ पार्लर खोला गया, जिस पर प्रतिदिन औसतन 40,000 रुपये की कड़कनाथ बिक्री हो जाती हैं। किसान कड़कनाथ उत्पादक संगठन जिले में 02 किसान कड़कनाथ उत्पादक संगठन का गठन हुआ हैं। किसान कड़कनाथ उत्पादक सहकारी संस्था मर्यादित झाबुआ में 315 शेयर धारक हैं जनवरी 2023 में ISO 9001-2015 प्राप्त हुआ एवं FPO का पंजीयन FSSAI में भी हुआ हैं। नाबार्ड द्वारा संस्था के लिए 6000 अंडे क्षमता की हचरी यूनिट स्थापित करने की स्वीकृति दी गई।
संस्था के सदस्यों को कृषि विज्ञान केन्द्र झाबुआ एवं पशुपालन विभाग झाबुआ द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। किसान कड़कनाथ उत्पादक सहकारी संस्था मर्यादित मेघनगर में 301 शेयर धारक हैं जनवरी 2023 में ISO 9001-2015 प्राप्त हुआ एवं FPO का पंजीयन FSSAI में भी हुआ हैं। कड़कनाथ पालकों द्वारा विक्रयः- श्री वीरसिंह थान्दार ग्राम छोटा गुडा विकास खंड मेघनगर ने जनवरी 2023 में 2.50 लाख के वयस्क कड़कनाथ मुर्गे महाराष्ट्र राज्य के मुंबई में विक्रय किये। देशी कड़कनाथ फार्म अंतरवेलिया झाबुआ द्वारा 04 माह में 2.00 लाख रुपये एवं आशीष कड़कनाथ फार्म ग्राम रुडीपाड़ा वि.ख. थांदला द्वारा 1.50 लाख के कड़कनाथ विक्रय किये।