रुद्रांश दर्पण 

ग्वालियर। हाईकोर्ट की पहल पर एक साल से अलग रह रहे दंपत्ति साथ रहने के लिए तैयार हो गए। बच्चों की मासूमियत ने दोनों के झगड़े को खत्म कर दिया। पति-पत्नी को अपने साथ ले गया। दोनों का झगड़ा खत्म कर काउंसलर ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंप दी। सुझाव दिया है कि न्यायालय चाहे तो दोनों के अनुभवों को हर महीने जान सकता है। इनकी छह महीने तक निगरानी की जाए।
ग्वालियर। हाईकोर्ट की पहल पर एक साल से अलग रह रहे दंपत्ति साथ रहने के लिए तैयार हो गए। बच्चों की मासूमियत ने दोनों के झगड़े को खत्म कर दिया। पति-पत्नी को अपने साथ ले गया। दोनों का झगड़ा खत्म कर काउंसलर ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंप दी। सुझाव दिया है कि न्यायालय चाहे तो दोनों के अनुभवों को हर महीने जान सकता है। इनकी छह महीने तक निगरानी की जाए।
पत्नी ने पड़ाव थाने में झूठा केस दर्ज कराया है। न कभी दहेज मांगा न उसके लिए प्रताड़ित किया। कोर्ट ने केस के तथ्यों को देखते हुए दोनों को 31 जुलाई को मीडिएशन के लिए काउंसलर के पास भेजा। काउंसलर ने दोनों की अलग-अलग व एक साथ काउंसिलिंग की। बच्चों को लेकर दोनों पहली ही काउंसिलिंग में साथ रहने के लिए तैयार हो गए। दोनों ने झगड़े को खत्म कर लिया। पति अब पत्नी को ग्वालियर में किराए से मकान दिलाएगा।
एक बेटी, एक बेटा है
● पुरुषोत्तम के पास एक बेटी व एक बेटा है। ये पुरुषोत्तम की पत्नी के साथ रह रहे थे। दोनों को बच्चों के भविष्य के बारे में समझाया गया। दोनों साथ रहने के लिए तैयार हो गए।
● इनका विवाद खत्म होने से हाईकोर्ट से एक व कुटुंब न्यायालय से पांच केस खत्म हो जाएंगे।